Class 10 Hindi Chapter 9 Question Answer

Class 10 Hindi Chapter 9, जिसका शीर्षक “जो बीत गया” है, एक दिलचस्प अध्याय है जो हिंदी कक्षा 10 का एक हिस्सा है।

इस लेख का उद्देश्य आपको Class 10 Hindi Chapter 9 Question Answer पर एक व्यापक मार्गदर्शिका प्रदान करना है। हमने उन सभी आवश्यक विवरणों को कवर किया है जिन्हें आपको अध्याय के बारे में जानने की आवश्यकता है, जिसमें महत्वपूर्ण लघु प्रश्न उत्तर (very short type question answer), लंबे प्रश्न उत्तर (long question answer) और व्याकरण अनुभाग भी शामिल हैं।

Class 10 Hindi Chapter 9 Question Answer 2024 HSLC Final Exam

हमने पहले ही उल्लेख किया है कि इस लेख में, हमने आगामी HSLC 2024 final Exam के लिए सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर जोड़े हैं। यहां आपको बेहतर समझ के लिए बहुत छोटे प्रकार के प्रश्न उत्तर, वर्णनात्मक प्रश्न उत्तर और कुछ व्याकरणिक समाधान मिलेंगे।

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Class 10 Hindi Chapter 9 Question Answer

1. सही विकल्प चयन करो

(क) कवि हरिवंश रायवच्चन का जन्म हुआ था ―
अ) सन् 1905 में।
आ) सन् 1906 में।
इ) सन् 1907 में।
ई) सन् 1908 में।
उत्तर : (इ) सन् 1907 में ।

(ख) कवि ने इस कविता में बीती बात को भूला कर क्या करने का संदेश दिया है ?
अ) वर्तमान की चिंता।
आ) भविष्य की चिंता।
इ) अतीत की चिंता।
ई) सुख की चिंता।
उत्तर : (अ) वर्तमान की चिंता ।

2. संक्षेप में उत्तर दो

(क) अपने प्रिय तारों के टूट जाने पर क्या अंबर कभी शोक मनाता है ?
उत्तर : नहीं । अपने प्रिय तारों के टूट जाने पर अंबर कभी शोक नही मनाता ।

(ख) हमें मधुवन और मदिरालय से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर : मधुवन अपने प्रिय फूलों के सूखने अथवा मुरझा जाने पर भी कभी शोर नहीं मचाता । अतः मधुवन की तरह हमें भी अपने प्रिय चीजों को खोकर शोर मचाने का कोई जरूरत नहीं । उसे भुल जाना ही चाहिए । क्योंकि हमारे पास वैसा और उनके प्रिय चीज हैं जिसे लेकर हम दुखों में जीवन बिता सकते है ।

मदिरालय से भी हम वैसी ही शिक्षा प्राप्त कर सकता कि मधुका घट टूटने पर भी मादकता के मारे लोग मधु को पीना नहीं छोड़ता और सच्चे मधु से जलते हुए लोग कभी नही चिल्लाता, कभी नहीं रोता । इससे हमें यह शिक्षा मिलता है कि जीवन की मादकता मनुष्यों के एक एक दृष्टिकोण पर निर्भर है । कोमल मिट्टी से बने घट का जीवन तुच्छ है, इसको लेकर चिल्लाने वाला मनुष्य का जीवन भी तुच्छ है ।

(ग) कवि ने “अंबर के आनन” को देखने की बात क्यों की है ?
उत्तर : कवि ने “अंबर के आनन” को इसलिए देखने को कहा कि वह अपने बेहद प्यारे तारे को टूटे हुए देखकर भी निर्विकार रहता है। अतः मनुष्य को अपने दुःखों को याद करके शोक मनाना अच्छी बात नहीं है। मनुष्य को निर्विकार चित्त का ही अधिकार होना चाहिए ।

(घ) प्यालों के टूट जाने पर मदिरालय क्यों नहीं पश्चात्ताप करता ?
उत्तर : प्यालों के टूट जाने पर मदिरालय इसलिए पश्चात्ताप नही करता क्योंकि मृदु मिट्टी से बने हुए प्याले लघु जीवन लेकर आए है। इससे मदिरालय में दारु पीने वालों का अभाव नहीं होता, मधु के घट का भी कमी नहीं होता । मादकता के मारे लोग मदिरालय को नहीं छोड़ सकता। अतः मदिरालय को पश्चाताप करने की जरूरत है ।

(ङ) मधु के घट और प्यालों से किन लोगों का लगाव होता है ?
उत्तर : मधु के घट और प्यालों से उन लोगों का लगाव होता है जो मादकता के मारे अपने जीवन को तुच्छ मानता है ।

(च) ‘जो मादकता के मारे हैं, वे मधु लूटा ही करते है । ― इसमें क्या कहना चाहते है ?
उत्तर : इसमें कवि यह कहना चाहते है कि मादकता के मारे लोग मदिरालय को नहीं छोड़ सकता । वे मदिरा के लिए महारंभ करते है। वे अपने जीवन को तुच्छ समझते है । इनके लिए घट ही अपने जीवन भी प्योर है ।

(छ) उक्त कविता में मानव जीवन की तुलना किन-किन चीजों से की गई है ?
उत्तर : उक्त कविता में मानव जीवन की तुलना अंबर के टूटे हुए तारों, उपवन के मुरझा गयी फुल, और मदिरालय का टूटा हुआ प्यालों के साथ की गई है ।

(ज) इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर : इस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को अपने बीते हुए दुःखो को भूल जाना चाहिए । अपने दुखों को स्मरण कर शोक में समय बिताना अच्छी बात नहीं है । हमें वर्तमान की सुखों को लेकर ही जीवन का आनन्द लेनी चाहिए।

3. सप्रसंग व्याख्या करो

(क) जीवन में एक सितारा था, ….. अंबर के आनन को देखो ।
उत्तर : यह पंक्तिया हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आलोक भाग-२’ के अंतर्गत कवि हरिवंश राय बच्चन विरचित शिक्षाप्रद कविता “जो बीत गयी” से ली गयी है ।

इसमें कवि ने मनुष्य जीवन को आंकाश के माध्यम से शिक्षा देने की प्रयास किया है।

यहाँ कवि यह कहना चाहते है कि जिन तारों के कारण आकाश झगमग करता है वह आकाश का बेहद प्यारा होता है । पर वह ‘डूब (टूट) जाने पर आकाश का दीप्ति भी चली जाती । तब भी आकाश निर्विकार रहता है । वर्तमान की स्थिति पर ही वह अविचल रहता है। कवि मनुष्य को आकाश की तरह अविचल रहने का परामर्श दिया है ।

(ख) मृदु मिट्टी के हैं बने हुए …… प्याले फूटा ही करते हैं ।
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-२ के अन्तर्गत “जो बीत गयी” शीर्षक कविता से ली गयी है। इसकी रचयिता है हरिवंश राय बच्चन । इसमें कवि ने मनुष्य जीवन को मधुघट और मधुप्याले से तुलना करते हुए जीवन की मादकता के बारे में बताया है। कवि के अनुसार मधुघट कोमल मिट्टी द्वारा बनाया जाता है । यह मिट्टी पर गिरकर टूट जाते है । इसका स्थायित्व कम है। लेकिन इस विषय पर मधुशाला कभी दुख प्रकट नहीं करता है । क्योंकि प्याला जैसी क्षणस्थायी बस्तु टूट तो जायेगा ही। इसी तरह अपने दुःख को याद कर शोक मनाने से जीवन के बाकी समय को सुखपूर्वक बिता देना ही अच्छा है।

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