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Class 10 Hindi Chapter 7 Question Answer | साखी प्रश्न का उत्तर

यदि आप कक्षा 10 के छात्र हैं और Class 10 Hindi Chapter 7 Question Answer की तलाश कर रहे हैं तो यह इसे प्राप्त करने के लिए सही जगह है। आपकी हिंदी पुस्तक के Class 10 Hindi Chapter 7 (साखी) में कई महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर हैं जो आपके HSLC 2024 Final Exam में दिखाई दे सकते हैं।

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यह ब्लॉग Class 10 Hindi Chapter 7 Question Answer को सरल भाषा में समझाएगा। हम प्रत्येक प्रश्न और उत्तर को विस्तार से कवर करेंगे, और आपको उन्हें सही ढंग से उत्तर देने में मदद करने के लिए सुझाव देंगे।

Class 10 Hindi Chapter 7 Question Answer
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Class 10 Hindi Chapter 7 Question Answer 2024

इस ब्लॉग को पढ़कर, आपको Class 10 Hindi Chapter 7 (साखी) की पूरी समझ होगी, और HSLC 2024 Final Exam पर किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए अच्छी तरह से तैयार होंगे। तो, आइए शुरू करें और परीक्षा में अपनी Class 10 Hindi Chapter 7 Question Answer पर अच्छा स्कोर करने में आपकी सहायता करें!

यहां Class 10 Hindi Chapter 7 Question Answer (साखी प्रश्न का उत्तर) पर इस पोस्ट में, हमने HSLC 2024 Final Exam के लिए बहुत छोटे प्रकार के प्रश्न उत्तर (Vert Short Type Question Answer), लंबे प्रश्न उत्तर (Long Type Question Answer) और एक अन्य व्याकरण से संबंधित प्रश्न उत्तर जोड़ा है।

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सही विकल्प का चयन करो

(क) महात्मा कबीर दास का जन्म हुआ था –
अ) सन् 1398 में।
आ) सन् 1380 में।
इ) सन् 1370 में।
ई) सन् 1390 में।
उत्तर : सन् 1398 में ।

(ख) संत कबीर दास के गुरु कौन थे ?
अ) गोरखनाथ।
आ) रामानन्द।
इ) रामानुजाचार्य।
ई) ज्ञानदेव।
उत्तर : रामानन्द।

(ग) कस्तूरी मृग वन वन में क्या खोजता फिरता है ?
अ) कोमल घास।
आ) शीतल जल।
इ) कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ।
ई) निर्मल हवा।
उत्तर : कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ ।

(घ) कबीरदास के अनुसार वह व्यक्ति पंडित है―
अ) जो शास्त्रोका अध्ययन करता है।
आ) जो बड़े बड़े ग्रंथ लिखता है।
इ) जो किताबें खरीदकर पुस्तकालय में रहता है।
ई) जो ‘प्रेम का ढई आखर’ पढ़ता है।
उत्तर : (ई) जो ‘प्रेम का ढई आखर’ पढ़ता है ।

(ङ) कवि के अनुसार हमें कल का काम कब करना चाहिए ?
अ) आज।
आ) काल।
इ) परसो।
ई) नरसो।
उत्तर : आज ।

एक शब्द उतर दो

(क) श्रीमंत शंकरदेव ने अपने किस ग्रंथ में कबीर दास जी का उल्लेख किया है ?
उत्तर : कीर्तन घोषा में ।

(ख) महात्मा कबीर दास का देहावसान कब हुआ था ?
उत्तर : मगहर में ।

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(ग) कवि के अनुसार प्रेम विहीन शरीर कैसा होता है ?
उत्तर : लोहार की खाल जैसा होता है ।

(घ) कबीर दास जी ने गुरु को क्या कहा है ?
उत्तर : कुम्हार कहा है ।

(ङ) महात्मा कबीर दास की रचनाएँ किस नाम से प्रसिद्ध हुई ?
उत्तर : बीजक नाम से ।

पूर्ण वाक्य में उत्तर दो

(क) कबीर दास के पालक पिता-माता कौन थे ?
उत्तर : कबीर दास के पालक पिता-माता―नीरू और नीमा था।

(ख) ‘कबीर’ शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर : ‘कबीर’ शब्द का अर्थ बड़ा, महान और श्रेष्ठ है ।

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(ग) ‘सखी’ शब्द किस संस्कृत शब्द से विकसित है ?
उत्तर : ‘साखी’ शब्द संस्कृत शब्द ‘साक्षी’ से विकसित है ।

(घ) साधु की कौन-सी बात नहीं पूछी जानी चाहिए ?
उत्तर : साधु को ‘जाति के बारे में पूछना नहीं चाहिए ।

(ङ) डूबने से डरने वाला व्यक्ति कहाँ बैठा रहता है ?
उत्तर : डूबने से डरने वाला व्यक्ति पानी के किनारे बैठा रहता है ।

अति संक्षिप्त उत्तर दो

(क) कबीर दास जी की कविताओं की लोकप्रियता पर प्रकाश डालें।
उत्तर : कबीर दास की कविताओं में भक्ति भाव, व्यवहारिक ज्ञान और जो मानवतावादी दृष्टि है आम जनता की सरल सुबोध भाषा में लिखा हुआ है। उनकी कविताओं की वाणी आज भी प्रासंगिक है। इसलिए लोग उसे ग्रहण करते आए है ।

(ख) कबीर दास जी के आराध्य कैसे थे ?
उत्तर : कबीर दास निर्गुण निराकार राम के उपासक थे । यह आराध्य राम संसार के रोम-रोम में है, प्रत्येक अणु-परमाणु में बसने वाले है । सच्चे हृदय से उसे पाया जा सकता है।

(ग) कबीर दास जी का काव्य भाषा किन गुणों से युक्त है ?
उत्तर : कबीर दास जी की काव्य भाषा वस्तु तत्कालीन हिंदुस्तानी है, जिसे विद्वानों ने ‘सधुक्कड़ी’ ‘पंचमेल खिचड़ी, आदि कहते है। यह भाषा सरल, सहज, बोधगम्य और स्वाभाविक रूप से आये कलाकारों से सजी हुई है। इसमें ब्रज, फारसी, उर्दू, पंजाबी आदि भाषा का समावेश हुआ है।

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(घ) ‘तेरा साई तुझमें, ज्यों पुहुपन में बास’ का आशय क्या है ?
उत्तर : कबीर दास के मतानुसार भगवान सब जीवों के हृदय में है। जिस प्रकार फूलों में बास छिपा रहता है उसी प्रकार भगवान संसार के सभी चीजों में छिपा रहता है ।

(ङ) ‘सतगुरु की महिमा के बारे में कवि ने क्या कहा है ?
उत्तर : कबीर दास ने सतगुरु की महिमा को अनन्त कहाँ है। क्योंकि सतगुरु का लोचन अनन्त है, दिखावणार भी अनन्त है। जिसने ईश्वर के साक्षात दर्शन करवा दिए है ।

(च) अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट का तात्पर्य बताओ ।
उत्तर : कबीर दास के अनुसार गुरु-शिष्य का संबंध कुम्हार और कुंभ का है। जिस प्रकार कुम्हार कुंभ बनाते समय एक हाथ से सहारा देता है और दुसरे हाथ से बाहर चोट लगाता है उसी प्रकार गुरु ने शिष्य को सही शिक्षा देने में कभी कभी कोसते है पर हमेशा हृदय में प्यार होता है ।

संक्षिप्त उत्तर दो

(क) बुराई खोजने के संदर्भ में कवि ने क्या कहा है ?
उत्तर : बुराई खोजने के संदर्भ में कबीर दास ने यह कहना चाहता है कि हमें दूसरों की भलाई-बुराई को देखने से पहले अपने आपको अच्छी तरह निरीक्षण करना चाहिए। कबीर दास के अनुसार लोग दूसरों की बुराई हमेशा देखते है लेकिन अपने मन की मैली को नहीं देखते। जब उसने अपने दिल को देखा तो मालूम हुआ कि उनके जैसे बुरे कहीं भी नहीं है ।

(ख) कबीर दास जी ने किसलिए मन का मनका फेरने का उपदेश दिया है ?
उत्तर : कबीर दास जी के मतानुसार अनेक लोग भगवान के नाम पर हाथ में माला लेकर जाप करते है किन्तु भगवान का साक्षात या दर्शन नहीं पाते। आपके अनुसार माला जपने से पहले अपने मन का फेर मारना चाहिए अर्थात् मन की मैली को साफ करनी चाहिए ।

(ग) गुरु शिष्य को किस प्रकार गढ़ते है ?
उत्तर : जिस प्रकार कुम्हार कुंभ को बनाने में अंदर में से एक हाथ से सहारा देता है और बाहर से थपकिया लगाते है उसी प्रकार गुरु ने भी शिष्य को हृदय में प्यार रखते हुए कोसने पीटने के जरिए शिक्षा देकर शिष्य को गढ़ लेते है ।

(घ) कोरे पुस्तकीय ज्ञान की निशर्थकता पर कबीर दास जी ने किस प्रकार प्रकाश डाला है ?
उत्तर : कबीर दास के अनुसार पुस्तकीय ज्ञान के जरिए कोई लोग पंडित नहीं बन सकता। पण्डित बनने के लिए लोगों को प्रेम के बारे में जानना जरूरी है। जो लोग प्रेम के ढाई प्रकार का ज्ञान जानते हो वे ही पंडित बन सकते है ।

सम्यक् उत्तर दो

(क) संत कबीर दास की जीवन-गाथा पर प्रकाश डालो ।
उत्तर : हिन्दी के संत तथा राम भक्ति शाखाओं के प्रमुख कवियों में कबीर दास जी अन्यतम है । आपकी भक्ति-काव्यों की तरह जीवन गाथा भी अत्यंत रोचक है । सन १३९८ (1398) में काशी में एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से आपका जन्म हुआ था। लोकलाज के कारण इस दिव्य बच्चे को लहरतारा नामक स्थान के एक तालाब के तट पर छोड़ दिया था। वहाँ से गुजरते हुए नीरू और नीमा नामक मुसलमान जुलाहे दंपति को वह बालक मिला। उन्होंने उसका नाम रखा कबीर और उसे पाल-पोस कर बड़ा किया। आगे चलकर कबीरदास जी बड़े संत, श्रेष्ठ भक्त और महान कवि बने ।

कबीर दास स्वामी रामानन्द के शिष्य थे । वे निर्गुण निराकार ‘राम’ की आराधना करते थे। आप जात-पात, उच्च-निम्न आदि भेद भावों के हमेशा विरोधी थे ।

(ख) भक्त कवि कबीर दास जी का साहित्यिक परिचय दो ।
उत्तर : कबीर दास आम जनता के कवि थे। उन्होंने जनता के लिए और जनता की सहज, सरल और सुबोध भाषा में काव्य की रचना की। भक्ति धर्म आदि प्रचार और प्रसार के लिए आप जहां-तहां घूमते थे और वहां की जनभाषा से कविता लिखते थे । आपकी कविता में ब्रज, मैथिली, उर्दु पारसी-फारसी, अरबी, पंजाबी, राजस्थानी आदि भाषा के शब्दों का समावेश हुआ है। इसलिए कुछ विद्वानों ने उनकी भाषा को “सधुक्कड़ी” “पंचमेल खिचड़ी” आदि कहा जाता है। ज्ञान, भक्ति, आत्मा-परमात्मा, माया, प्रेम, वैराग्य, आदि गंभीर विषय उनकी रचनाओं में अत्यन्त सुबोध एवं स्पष्ट रूप में प्रकट हुए है ।

कबीर दास ने लोगों के बीच में रहकर तरह-तरह के उपदेश आदि दिया करते थे। उनकी वाणियों को कुछ शिष्यों ने लिपिबद्ध किया। उनकी रचनाएँ “बीजक” नाम से प्रसिद्ध है। इसके तीन भाग है– साखी, सबद और रमैनी ।

(क) ‘जाति न पूछो’ साधु की, ………पड़ा रहन दो म्यान ।।
उत्तर : यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक “आलोक भाग-२ के अन्तर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से लिया गया है। इसमें कबीर दास ने हमें जाति नहीं बल्कि ज्ञान पर ही गुरुत्व देने को कहा है।

इसमें कबीर दास ने हमें जाति नहीं बल्कि ज्ञान पर ही गुरुत्व देने को कहा है ।

जाति मनुष्य का बाहरी आवरण मात्र है। समाज की भलाई के लिए हमें ज्ञान का ही जरुरत होता है जाति का नहीं। जिस प्रकार लड़ाई जीतने के लिए हमें तलवार की आवश्यकता होती है म्यान का नहीं उसी प्रकार एक सुन्दर समाज बनाने के लिए हमें किसी भी व्यक्ति के ज्ञान पर ही नजर डालना चाहिए जाति से नहीं। कबीर दास ने जाति-भेद को समाज की बुराई का कारण मानते थे। कबीर दास की इस वाणी में सच्चाई है ।

(ख) जिन ढूँढ़ा तीन पाइयाँ, ……रहा किनारे बैठ ।।
उत्तर : यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आलोक भाग-२’ के अन्तर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से लिया गया है। इसमे कबीर दास ने गहन साधना और कर्म की आवश्यकता पर हमारे ध्यान खींच लेना चाहता है।

कबीर दास के अनुसार बिना साधना और कर्म किसी की सफलता नहीं मिलता। मनुष्य जीवन की सफलता कड़ी साधना और परिश्रम पर निर्भर है । जिसमें साहस नहीं वे पानी में डूब जाने की भय से समुद्र के चट पर ही बैठे रहते है और जो निडर है परिश्रमी है समुद्र के अन्दर तक जाकर मोती निकाल लेते है। इससे यह साबित होता है कि जिन्दगी का मजा हिम्मत और परिश्रम वाले ही ले सकता आलसी तथा डरफोक नहीं ।

(ग) जा घट प्रेम न संचरै, ……..साँस लेत बिनु प्रान ।।
उत्तर : यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आलोक भाग-२’ के अन्तर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से लिया गया है। इसमें कबीर जी ने हमें प्रेम और भक्ति की महत्ता पर अपना विचार प्रकट किया है । कबीर दास के अनुसार जिस घर में हरिया भगवान की पूजा नहीं होती वह घर श्मशान के समान है। श्मशान में रहने वाले को लोग भूत रहते है जिसके पास भगवान के प्रति प्रेम या भक्ति से भरा कोई हृदय नहीं । दूसरी और उस घर में रहे व्यक्तियों का शरीर भी प्राण शून्य है, लोहार की खाल जैसी है।

(घ) काल करे सो आज कर, ……बहुरि करेगी कब ।।
उत्तर : यह पंक्तिया हमारी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-२ के अन्तर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से लिया गया है ।

इसमें कबीर ने लोगों को शीघ्र कर्तव्य पालन करने के लिए उपदेश दिया है।

कबीर दास के अनुसार इस जगत की कोई सुनिश्चित विधि नहीं है । किसि न किसि परिवर्तन होता जा रहा है । इस प्राकृतिक परिवर्तनों के साथ साथ हमारे जीवन चर्चा में भी उथल-पुथल आ जाता है । इसलिए हमें समय का काम समय पर कर लेना जरूरी है । कभी भी किसी प्रकार के काम को करने में अवहेलना करना अनुचित है। अपनी करणीय कर्म को जितनी ही जल्दी हो सके उतनी ही में कर लेनी चाहिए ताकि विपद या आफती का असर हमारे ऊपर कम से कम हो कबीर दास की वह वाणी पत्थर की लकीर की तरह हमें हमेशा के लिए याद रखना चाहिए ।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

1. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप बनाओ – मिरग, पुहुप, सिष, आखर, मसान, परलय, उपगार, तीरथ ।
उत्तर:

मूलशब्दतत्सम शब्द
मिरगमृग
पुहुपपूष्प
सिषशिष्य
आखरअक्षर
मसानश्मशान
परलयप्रलय
उपगारउपकार
तीरथतीर्थ

2. बाक्यों में प्रयोग करके निम्नलिखित जोड़ों के अर्थ का अंतर स्पष्ट करो : मनका―मन का, करका―कर का, नलकी―नल की, पीलिया―पी लिया, तुम्हारी―तुम हारे, नदी―न दी

मनका (माला के दाने)― हाथ में मनका लेकर फायदा नहीं उठा सकता अगर दिल साफ न हो।
मन का (अंतर) ― माला जपने से पहले मन का फेर मार लेनी चाहिए ।
करका (बर्षा का पत्थर )― श्रावन की महिने में करका अधिक होती है ।’
कर का (हाथ)― कर का मैली साफ करना आसान है।
नलकी (पानी खींचा जाने वाली यन्त्र)― नलकी की सहायता से जमीन में से पानी ऊपर खीचा जाता है।
नल की (नल का)― नल की भीतरी भाग खोखला है।
पीलिया (एक बीमार का नाम)― रमेन पीलिया की दवा ले रहा है ।
पी लिया (पीना कार्य)― उसने पानी पी लिया है ।
तुम्हारे (तुम का)― तुम्हारे पास रुपया है क्या ?
तुम हारे (पराजित होना)― तुम हारे या जीते इसमें मेरा कोई मतलव नहीं ।
नदी (नद, तटिनी)― नदी का पानी पीना नहीं चाहिए ।
न दी (न)― उसने मुझे खाने न दी ।

3. निम्नांकित शब्दों के लिंग निर्धारित करो: महिमा, चोट, लोचन, तलवार, ज्ञान, घट, साँस, प्रेम ।

उत्तर :

  • महिमा―स्त्रीलिंग ।
  • चोट―स्त्रीलिंग ।
  • लोचन―पुलिंग।
  • तलवार―स्त्रीलिंग ।
  • ज्ञान―पुलिंग ।
  • घट―पुलिंग ।
  • साँस―स्त्रीलिंग ।
  • प्रेम―पुलिंग ।

4. निम्नलिखित शब्दो समूहों के लिए एक एक शब्द लिखो ―

(क) मिट्टी के बर्तन बनानेवाला व्यक्ति।
उत्तर : कुम्हार ।

(ख) जो जल में डूबकी लगाता हो-
उत्तर : पनडुब्बे ।

(ग) जो लोहे के औजार बनाता है-
उत्तर : लूहार ।

(घ) सोने के गहने बनाने वाला कारीगर ।
उत्तर : सुनार ।

(ङ) विविध विषयों के गंभीर ज्ञान रखने वाला व्यक्ति ।
उत्तर : पंडित ।

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ৰসায়ন বিজ্ঞানত স্নাতক ডিগ্ৰী, ব্যক্তিগত বিদ্যালয়ত শিক্ষক হিচাপে কাম কৰাৰ লগতে Assamese Medium ত CEO যিয়ে সকলো বিষয়ৰ লিখনিসমূহ চোৱাচিতা কৰে।

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